Sunday, January 18, 2009

दीदी की सुहागरात

१४ फरबरी की रात दीदी की शादी हुयी और इसी के साथ वो शादीशुदा हो गयी पर भगवान् मुझसे पता नही क्या चाहता था? दीदी की शादी के अगले दिन उनकी विदा हुयी और २ दिन बाद वो घर लौट आयी दूसरी विदा के लिए. उनके घर आते ही हम उन्हें छेड़ने लगीं, की दीदी बताओ न क्या क्या हुआ...? तो पता चला की दीदी के पिरिअड चल रहे थे इसलिए उनका अभी शारीरिक सम्बन्ध नही हो पाया है. और जब पूरे साथ दिन के बाद जीजू दीदी को लेने ले लिए आए तो उनकी सुहागरात तो हमारे यहाँ ही होनी थी न..क्योंकि जीजू अगले दिन जाने वाले थे. सो रात में हमने उनका कमरा खूब सजाया और में भी उनके बगल वाले कमरे में थी. मैने जीजू को मजाक में कहा भी की अगर कुछ जरूरत हो तो बताना हम भी बगल वाले कमरे में ही हैं. पर मेरी आंखों में नींद नही थी. में यहो सब सोच रही थी की अन्दर क्या चल रहा होगा?

और आख़िर में मैने फ़ैसला कर ही लिया, दीदी के कमरे में खुलने वाली एक खिड़की की झिर्री में अपनी आँख लगा दीं, और देखा....

दीदी लाल रंग की साड़ी में पलंग पर बैठी थी। और जीजू कुरते पायजामे में थे. जीजू के आते ही वो थोड़ा सा हिली और उनकी चूड़ियाँ और पायल बज उठी. उन्होंने दीदी को एक डायमंड की अंगूठी दीं और दीदी बोली, इसकी क्या जरूरत थी?. तो जीजू बोले की, 'अरे यह तो तुम्हारी मुह दिखायी है, वैसे भी आज तुम बहुत सुंदर दिख रही हो.' और उन्होंने दीदी को अपनी बाहों में भर लिया और उनके माथे , गाल, और लिप्स पर किस करना शुरू कर दिया. ऐसा लग रहा था की दो प्रेमी बड़े दिनों के बाद मिले हों. शुरू में उनके हाथ स्थिर थे पर जैसे जैसे वासना का तूफ़ान परवान चढ़ रहा था वैसे वैसे दोनों के हाथ एक दूसरे को खोज रहे थे. दीदी के हाथ जीजू की पींठ पर थे और जीजू के हाथ दीदी के पींठ पर से होते हुए हिप्स पर आए और उन्हें कास लिया. जीजू ने अपने एक हाथ को दीदी के लेफ्ट स्तन पर रखा तो दीदी ने जीजू को देखा और फिरसे किस करने लगीं. शायद यह एक हाँ थी जीजू को जिन्होंने हाँ मिलते ही अपने दोनों हाथों से दीदी के बूब्स को साड़ी के ऊपर से ही मसलना शुरू कर दिया था. और जल्दी ही उन्होंने दीदी की साड़ी भी निकाल दीं॥इधर मेरा एक हाथ भी मेरी स्कर्ट के अन्दर मेरी पूसी पर पहुँच चुका था. जीजू ने दीदी के पेटीकोट का नारा ढूँढ लिया और उसे खोल दिया. ऐसा करते ही उनका पेटीकोट खुलकर उनके पैरों में नीचे गिर गया. और दीदी उसमे से बाहर निकल कर खड़ी हो गयी. दीदी ने चमकते लाल रंग की एक पैंटी पहन राखी थी जिसमे से उनके हिप्स का उभर खूब चमक रहा था. अब वो जीजू की पकड़ में थीं, एक ब्लाऊज, पैंटी और एक ब्रा पहने हुए. जीजू ने दीदी को घुमाया और उनका मुह ड्रेसिंग टेबल के शीशे की और कर दिया और पीछे से हाथ आगे लाये और दीदी के बूब्स को जकड लिया अपनी हथेलियों में. और दीदी भी करहा रही थी जैसे ही उन्होंने दीदी के गले और गर्दन और कान के नीचे किस करना शुरू कर दिया. दीदी शायद बड़ी ही उत्तेजना में थी, क्योंकि उन्होंने भी तुंरत ही पायजामे के ऊपर से जीजू का लंड अपने हाथों में ले लिया. उधर जीजू में दीदी के ब्लाऊज भी खोल दिया और दीदी अब ब्रा में उनके सामने थीं. "यह आप क्या कर रहे हो ?", दीदी ने बोला तो जीजू ने बोला की, "अब तुम मेरी बीवी हो और में तुम्हारे साथ कुछ भी कर सकता हूँ तुम्हे कोई ऐतराज है?" दीदी ने बोला "नही..." और वापस घूम कर जीजू की और मुह कर लिया और पेनिस को धीरे धीरे स्ट्रोक करना शुरू कर दिया. जीजू ने दीदी की ब्रा भी उतार दीं और बेद पर फ़ेंक दीं और दोनों स्तन अपने हथेलियों में भर लिए. दीदी के मुह से आह निकल ही जा रही थी. वो बीच बीच में दीदी के निप्पलस भी चूस रहे थे. अब दीदी सिर्फ़ लाल रंग की एक पैंटी में थीं. जीजू ने उन्हें पलंग पर लिटा दिया, उनको बूब्स एकदम गोल गोल और ऊपर उठे हुए थे. जीजू ने अपने कपड़े खोलने शुरू कर दिए. और सिर्फ़ अंडरवियर में वो भी पलंग पर आ गए. उनका पेनिस उस अंडरवियर में से बाहर आ जाना चाह रहा था. दोनों एक दूसरे के शरीर से लिपट गए थे. जीजू दीदी की टांगों के बीच में उनकी चूत पर हाथ फेर रहे थे और अपने सीने के नीचे दीदी के बूब्स दबे हुए थे. जीजू ने दीदी की पैंटी के अन्दर हाथ डाला और उनके नंगे हिप्स पर हाथ फेरना शुरू कर दिया और दीदी ने जीजू के अंडरवियर को उतार दिया और पेनिस को पकड़ कर रगड़ना शुरू कर दिया. तो जीजू ने भी दीदी की पैंटी उतारनी शुरू करदी और दीदी ने अपनी कमर ऊपर उठाकर जीजू की मदद करदी. बस अब दोनों पूरे नंगे थे, और यह सब मेरी आँखे देख रही थी. मेरी चूत नल की तरह पानी छोडे जा रही थी. जब जीजू दीदी को घोरने लगे तो दीदी ने अपना मुह अपनी हथेलियों से धक् लिया. कमरे बल्ब जल रहा था सो में साफ़ साफ़ देख पा रही थी की दीदी के गोरे बदन पर सिर्फ़ चूत के ठीक ऊपर हलके हलके बाल थे और जीजू उनमे अपनी उंगलियाँ फेर रहे थे. जीजू का पेनिस एकदम कदा था लोहे को रोड की तरह. जीजू ने दीदी की टाँगे फैलाई और उनके बीच में बैठ गए और नीचे झुके और उनके पूसी पर किस कर लिया. दीदी इसके लिए तयार नही थी और अपने दोनों हाथों से अपनी चूत को ढकने लगीं. वो अपना सर हिलाकर मने करने लगी, "वहां नही...!". लगता था कि शायद वहां बाल होने की वजह से वो किस नही करने देना चाहती थी. पर जीजू ने जिद नही कि और उनके पेट पर किस करते हुए बूब्स कि और बढने लगे. दोनों हाथों से वो दोनों स्तनों का मर्दन करने लगे और दीदी के मुह से सिसकारी निकलने लगीं. फिर एक स्तन को चूसते और दूसरे के निप्पल को उँगलियों से रगड़ने लगते. दीदी के हाथ जो जीजू कि पींठ पर लिपटे हुए थे इसलिए जीजू ने दीदी का एक हाथ फिर से अपने लंड पर रख दिया. और उधर जीजू ने तकिये के नीचे से कंडोम का पैकेट निकाल लिया.

और फिर एक कंडोम निकाल कर अपने लंड पर चडा लिया. फिर एक डिब्बी निकली (जोकि एक जेल्ली थी), और उसमे से थोडी सी के वाई जेली निकाल कर दीदी कि गीली चूत पर मल दीं. जीजू दीदी के ऊपर थे और उनका लंबा मोटा लिंग दीदी कि जाँघों के बीच में ठीक चूत के सामने लटका हुआ था. जीजू ने दीदी के कान में कुछ फुसफुसाया और दीदी ने तुंरत ही अपने हिप्स और घुटनों को ऊपर नीचे करके उनके लंड को अपनी चूत पर टक्कर दिलवाने लगीं.

मेरी उंगलियाँ मेरी क्लिटोरिस को जोर जोर से रगड़ रही थी और चूत में से पानी बहे जा रहा था. मन तो ऊँगली को चूत के अन्दर डालने को हो रहा था पर मजबूर थी चूँकि अभी तक में कुंवारी ही थी, मेरा मतलब मेरी योनी में झिल्ली टूटी नही थी, इसलिए ऊँगली नही डालना चाहती थी.

उधर, दीदी जीजू के लिंग को अपनी चूत के प्रवेश पर बार बार रगड़ रही थीं और शायद जैसे ही वो सही सीध में आया होगा, दीदी ने अपने हिप्स और घुटनों को ऊपर नीचे करना रोक दिया और जीजू कि पींठ पर एक हाथ रखकर उन्हें नीचे दबाब देने को कहा....और जीजू ने धीरे धीरे नीचे होना शुरू किया.. पर या तो चिकनाई ज्यादा थी या दीदी का छेद सही नही बैठ पा रहा था. उनका लिंग स्लिप हो गया. दीदी ने अपना हाथ बढाया और अपने हाथ से उनके लिंग को पकड़ कर अपनी चूत के छेद पर फिर रखा और फिर से नीचे दवाने को कहा...पर इस बार फिर लिंग टुंडी कि तरफ़ भाग गया..तब जीजू ने ख़ुद ही अपने लिंग को पकड़ा और दीदी कि चूत में डालने कि कोशिश करी और जैसे ही उन्होंने एक हल्का सा धक्का लगाया, तो शायद वो थोड़ा अन्दर गया, क्योंकि दीदी के हाथ और पाँव एकदम हवा में उठ गए और मुह से सिसकारी निकल गयी. और अभी दो तीन ही धक्के मारे थे जीजू ने कि दीदी ने उन्हें रोक दिया और बोली कि "दर्द हो रहा है......आज मत करो...आराम से करेनेगे न...बताओ...कोई जल्दी है क्या ...?" और जीजू मान भी गए, पर इस सब से मुझे यह पता लगा कि शायद दीदी अभी भी कुंवारी हैं और वो इस से पहले कभी लिंग से नही चुदी!"

जीजू दीदी कि बात मान गए और कंडोम निकाल दिया और पलंग पर लेट गए. दीदी उठकर बैठी और जीजू के ऊपर आ गयी और उन्हें किस करने लगी. उनके लिंग को छोड़कर दीदी ने उन्हें हर जगह चूमा. फिर वो जीजू कि बायें और बैठ गयी और जीजू के लिंग को पकड़ कर फिर से स्ट्रोक करने लगी. बीच बीच में वो अपनी जीभ से लिंग को किस भी कर देती. दीदी ने पहले जीजू के लिंग को किस किया और फिर एकदम से अपने मुह में भर लिया....ओह माय गोड ! क्या सीन था वो.... जीजू के लिंग का टॉप उनके मुह में था और वो उसे एक तोफ्फ्य कि तरह से चूस रह थीं. और जब जीजू को मदहोशी छाने लगी तो उन्होंने भी दीदी का सर अपने हाथों से पकड़ लिया और अपने लिंग के ऊपर दीदी के मुह को ऊपर नीचे करने लगे. एक आध बार दीदी ने पूरा लिंग भी अन्दर लेना चाह पर सफल न हो पायी...पर यह सब कुछ देर ही चला क्योंकि अचानक ही जीजू ने दीदी को पीछे हटते हुए फुसफुसाया..."आह में निकलने वाला हूँ..." और ऐसा कहते ही उनके लिंग से वीर्य का फुव्बारा फूट पड़ा. वो तो दीदी हट गयी थी वरना सारा उनके मुह में ही जाता. अभी सारा उनके लिंग से निकल कर उनके पेट पर फेल गया तहा और दीदी के हाथों में भी क्योंकि उनके लिंग पकड़ा जो हुआ था. जीजू ने अपना कुरता लिया और अपना पेट और दीदी के हाथ को साफ़ किया. और उसके बाद दोनों नंगे ही एक दूसरे के साथ लेट गए. दोनों एक दूसरे को आयी लव यू बोले जा रहे थे....उनकी सुहागरात पूरी हो चुकी थी और मेरे बदन में आग लग चुकी थी और में अब तक दो बार ओर्गस्म हासिल कर चुकी थी.


दीदी ने रूम का बल्ब बंद कर दिया और में भी खिड़की से हट कर अपने बेड पर लेट गयी....

Saturday, January 17, 2009

कॉलेज में कमल के साथ ओर्गास्म

शादी की उस घटना के बाद में पता नही क्यों कमल से दूर दूर ही रहती थी पर उसे चाहती भी थी। और फिर जब कॉलेज का लास्ट दिन आया उस दिन कॉलेज में विदाई पार्टी थी और वो राखी मुझे छेड़े जा रही थी की "लो, कॉलेज भी अब ख़तम हुआ और तुम अभी भी ऐसी ही हो....कोई मजा ही नही ले पायी।"

मैंने उस दिन ब्लैक टॉप और रेड स्कर्ट पहिन रखा था। मेने अपने को शीशे मैं देखा और सोचा, कि क्या आज कमल के साथ फिर कुछ हो सकता है? कुछ डर भी था और उत्सुकता भी.

शादी की उस घटना के बाद में पता नही क्यों कमल से दूर दूर ही रहती थी पर उसे चाहती भी थी। और फिर जब कॉलेज का लास्ट दिन आया उस दिन कॉलेज में विदाई पार्टी थी और वो राखी मुझे छेड़े जा रही थी की "लो, कॉलेज भी अब ख़तम हुआ और तुम अभी भी ऐसी ही हो....कोई मजा ही नही ले पायी।"

मैंने उस दिन ब्लैक टॉप और रेड स्कर्ट पहिन रखा था। मेने अपने को शीशे मैं देखा और सोचा, कि क्या आज कमल के साथ फिर कुछ हो सकता है? कुछ डर भी था और उत्सुकता भी. मैं चाहती थी कि आज कमल मेरे पर पूरी तरह से लट्टू हो जाए इसलिए मेने गले मैं एक सुंदर सा पेंडेंट पहना था जो मेरे बूब्स कि दरारों के ठीक ऊपर टिका हुआ था. मिलती जुलती एअर रिंग्स के साथ पैरों मैं पायल भी थी. पूरे कॉलेज कैम्पस मैं भीड़ भाड़ थी. सभी एक दूसरे को मिल रहे थे और एक दूसरे को फिर से कभी मिलने के लिए बातें कर रहे थे. मैं भी कमल से उसके भविष्य के बारे मैं बातें कर रही थी और बातें करते करते हम भीड़ से एक तरफ़ अलग निकल आए. वो पढाई और क्रिकेट के बारे मैं भी बातें करने लगा. मुझे लग रहा था कि हम दोनों के बीच मैं धीरे धीरे सेक्सुअल टेंशन होने लगी थी. वो भी मेरी नाभि और बूब्स को लगातार घूरे जा रहा था. थोडी देर बाद कमल बोला कि उसे वाशरूम जाना है, मैं भी जाना चाह ही रही थी, तो मैं भी साथ हो ली उसके. वाशरूम कॉलेज मैं अन्दर एक कॉरिडोर मैं था, वहां जाकर हम लोग अपने अपने टॉयलेट मैं चले गए. मैंने अन्दर जाकर शुशु कि और बूब्स को थोड़ा ऐसा सेट किया कि वो थोड़ा बाहर कि और उभार खाने लगे. बाहर आकर मैं उसका वेट करने लगी और जब वो बाहर आ गया तो वापस लौटने लगे. तभी अचानक उसने मेरा हाथ पकड़ा और मेरे कान के पास गाल पर किस कर दिया. मैं सर से लेकर पाँव तक काँप सा गयी. उसने मुझे अपनी और खींचा और मेरे लिप्स पर किस कर दिया. मुझे राखी कि बात याद आ रही थी कि अगर कमल कोशिश करे तो मैं उसे रोकू न !.... मेने भी अपनी बाहें उसके गले मैं लिप्त दी और उसकी आंखों मैं खानक कर देखा, वो मुझे देख रहा था और मेने उसे किस कर दिया....उस से बढ कर जिंदगी मैं कोई सुख नही था. तभी उसका एक हाथ मेरे टॉप कि और बड़ा और ऊपर से ही मेरे दाएं बूब को दबाया. मेने बहुत पतली से ब्रा ही पहनी थी उस दिन, सो वो मेरे स्तन के उभार और गोलाई को अच्छी तरह से महसूस कर पा रहा था. और इस से भी ज्यादा हद जब हो गयी जबकि उसने मेरा बायाँ हाथ पकड़ा और उसकी पेंट पर उस जगह रख दिया जहाँ उसका पेनिस उफान मार रहा था. मैं उसके पेनिस कि हार्डनेस और लम्बाई महसूस करना चाह रही थी. और यह पहली बार था जब मैं उसके पेनिस (लंड) को इतना गंभीरता से ले रही थी.

जब हमने किस कम्प्लीट किया तो हमारी भूंख भी बढ गयी थी. उसने तुंरत बगल वाले क्लास रूम को खोल दिया और हम लोग उस मैं अन्दर आ गए, अन्दर थोड़ा अँधेरा भी था. कॉरिडोर मैं से ही थोडी सी ही रौशनी आ रही थी. हमें कोई भी नही देख सकता था. वो मेरे पीछे आया और इतनी जल्दी मैं था कि बड़ी जल्दी से मेरी टॉप ऊपर करने लगा. उसने पीछे से मेरे बूब्स को थाम लिया और मेरी गर्दन पर किस करने लगा. उसका लंड मेरे पीछे चुभ सा रहा था और वो भी मेरे हिप्स पर अपने पेनिस को दबाये जा रहा था जैसे जैसे हम दोनों किस करते जा रहे थे और वो मेरे बूब्स को रगडे जा रहा था. वो और निर्भीक हो गया क्योंकि मेने उसे बिल्कुल भी नही रोका, सो उसने मेरी ब्रा भी ऊपर कि और कर दी और मेरे उन्नत उरोज बाहर आ गए. मेने उसे तब भी नही रोका और उसने मेरे दोनों स्तन अपने हाथों मैं भर लिए और अपनी उँगलियों के बीच मैं मेरी निप्पलस फंसा ली और उन्हें रगड़ने लगा.

मुझे लगा कि जैसे कमल जानता है कि एक लड़की को सेक्स के लिए कैसे तयार किया जाता है? वो मेरे बूब्स को दबाने और मसलने के साथ साथ मेरे कान, गर्दन और कंधे पर किस भी किए जा रहा था. उसने फिर मुझे अपनी और घुमा लिया और मुझे एक डेस्क पर बिठा दिया और मेरे निप्पलस को अपने मुह में ले लिया. मेरी चूत तो उसी समय पिघलने लगी और मैं पागल हुए जा रही थी. उसका एक हाथ मेरी स्कर्ट के अन्दर चले जा रहा था और अन्दर उसने मेरी जाँघों को महसूस करने लगा. अब एक राज कि बात बताऊँ , मेने टॉयलेट मैं जाने पर अपनी पैंटी उतार ली थी. और वो मेरी चूत पर हाथ फेर रहा था. और जब उस ने मेरी ओवर सेंसिटिव क्लिटोरिस पर मुझे छुआ, मैं एकदम झटका सा महसूस कर गयी. मेरे से अब नही रहा जा रहा था.

अब मैं भी उसके पेनिस को अपने हाथ मैं लेना चाहती थी इसलिए जब वो मेरे बूब्स सक करने मैं व्यस्त था तो मेने उसकी पेंट कि जिप खोल दी और उसके अन्दर हाथ डाल दिया. क्योंकि उसने अन्दर कसी हुयी अंडरवियर पहन रखा था तो मुझे अपने दोनों हाथ इस्तेमाल करने पड़े उसमे से उसके पेनिस को बाहर निकालने में. और अंत में मेने उसे हाथ में पकड़ लिया और बाहर निकाल लिया. वो पूरा उत्तेजित हो चुका था. मेने अनुभव किया कि वो बहुत गरम और पत्थर कि तरह सख्त हो चुका था. करीब सात इंच लंबा और गोलाई में करीब ३ इंच व्यास वाला उसका पेनिस मेरे हाथ में आ गया था. उसकी टिप पर थोड़ा सा पानी सा निकल भी आया था. जिसे मेने अपने अंगूठे से पोंछ दिया.
मेरी आंखों के सामने एक लड़के का भरा पूरा लंड मेरी आंखों के सामने था. मैं सोचने लगी कि यह इतनी बड़ी चीज मेरे छोटे से छेद में कैसे घुस सकता है? कमल भी पूरा उत्तेजना में था क्योंकि उसकी उंगलियाँ मेरी चूत कि लिप्स को बार बार रगडे जा रही थीं. उसने मुझे डेस्क पर से उतर कर के खड़े होने को कहा और जैसे ही मैं डेस्क से उतरी उसने मेरी स्कर्ट को नीचे उतार दिया और मैने भी अपनी टाँगे ऊपर करके मेरी स्कर्ट को पैरों में से निकाल दिया. अब उसने मुझे फिर से किस करना शुरू कर दिया और इस बार उसके हाथ मेरे नंगे हिप्स को महसूस कर रहे थे. और जो भी वो कर रहा था उसी के जवाब में मैं उसके पेनिस को दबा देती थी. उसके बाद वो फिर मेरे बूब्स को चूसने लगा और साथ साथ मेरी चूत को भी रगड़ने लगा. में भी आश्चर्य में थी कि आज मेरी चूत में से पानी ऐसे बह रहा था जैसे कि नल खुला रह गया हो. उसने अपनी दो उँगलियों से मेरी क्लिटोरिस को रगड़ना शुरू कर दिया और धीरे धीर स्पीड बढाने लगा और जैसा कि मैं आपको पहले भी बता चुकी हूँ कि जब मैं ज्यादा उत्तेजित हो जाती हूँ तो मेरी चूत में से पानी बिकुल ऐसे निकलता है जैसे कि शुशु निकल रही हो. और वही हुआ भी, मेरी चूत में से हर दस- पन्दरह सेकेंड्स में बार बार पिचकारी सी निकलती जा रही थी और कमल का पूरा हाथ गीला हो चुका था. वो भी हैरान था यह सब देखकर.

अब तक में उसके लंड को अपने हाथ से ऊपर नीचे करने लगी थी. हम दोनों एक दूसरे को हस्तमैथुन का सुख दे रहे थे. और उस से होने वाली उत्तेजना का सुखद अनुभव कर रहे थे. यह सब कुछ देर तक और चला और मैने अपने चरम तक पहुँच गयी और अंत में ओर्गस्म पर आ गयी, कमल नीचे बैठकर मेरी चूत को चाटना चाहता था पर मैने उसे मना कर दिया तो उसने मेरे को नीचे बिठा कर अपना लंड मेरे मुह में डालने के लिए कहा पर मैने वो भी मना कर दिया. वैसे मैने सपनो में कई बार उसके पेनिस को मुह में लिया था पर अब इतनी हिम्मत नही थी कि उसके पेनिस अपने मुह में लेकर चूसती, पर मैने अपने हाथ में पकड़े उसके लंड को और जोर जोर से हिलाना शुरू कर दिया था. क्योंकि मुझे राखी ने बताया था कि अगर लड़के का एक बार पानी निकल जाए तो वो कुछ देर तक के लिए शांत हो जाते हैं. सो मैने जितना तेज हो सकता था उसके लंड को ऊपर नीचे करना शुरू कर दिया. और उसकी हालत ख़राब होती जा रही थी, मैने देखा कि उसके साँसे तेज हो गयी थीं और टांगें काप रही थी कि अचानक मैने महसूस किया कि मेरी हाथों कि पकड़ में फंसे उसके लंड में कुछ उफान सा आ रहा है और जब तक में समझती उसने अपना वीर्य कि पहली जबरदस्त पिचकारी मेरे बूब्स पर छोड़ दी. एक....दो ......तीन.....और पूरे नौ दस बार उसने पिचकारी से छोड़ दीं. मेरे बूब्स पर उसका वीर्य बिखरा हुआ था.. उसकी आँखे बंद थी.

मैने अपना पर्स खोला और उसमे से रुमाल निकाल कर अपने बूब्स को साफ़ किया और फिर उसके पेनिस को भी...! फिर मैंने अपनी स्कर्ट पहनी। और ब्रा पहन ही रही थी कि उसने मुझसे मेरी ब्रा एक निशानी के तौर पर रखने के लिए मांग ली. में भी उसे मना नही कर पायी आख़िर बिना किसी नुक्सान के आज उसने मुझे इतना आनंद दिया था.

उसने यह भी कहा कि यह ब्रा उसे हस्तमैथुन करने में भी मदद करेगी जब भो वो मुझे याद करेगा....हम दोनों ने एक दूसरे को किस किया और वापस कॉलेज के ग्राउंड में आ गए जहाँ राखी और मेरी सहेलियां मुझे ढूँढ ही रही थी। कमल और मेरे को साथ देख कर राखी तो समझ ही गयी कि हम कुछ करके ही आ रहे होंगे. कॉलेज प्रोग्राम के पूरे टाइम वो बाहर से ही मेरे से मजे लेता ही रहा.

राखी से सेक्स के बारे में चर्चा

जी हाँ, मेरी जिंदगी का यह भी एक बड़ा महत्वपूर्ण भाग है. जब शादी वाली घटना के तीन दिन बाद मैं अपनी सहेली राखी से मिली, और हमारी कुछ बातें सेक्स से रिलेटिड भी थी. मैं अपने साथ होने वाले अनुभव के बारे मैं उस से बात करना चाह रही थी.

मैंने उस से कहा कि राखी तुम अगर किसी और से यह सब शेयर न करो तो मैं तुमसे कुछ बात करना चाहती हूँ. तो उसने कहा कि वो किसी से भी नही कहेगी. तब मेने उसे शादी वाली घटना के बारे मैं बताया कि कैसे कमल ने मुझे छुआ और मुझे उत्तेजित कर दिया. इस पर राखी हसने लगी और बोली, जूही बेटा इसमे परेशान होने वाली कौनसी बात है? जूही, अब तुम बड़ी हो चुकी हो , जवान हो, यह सब कोई इतनी बड़ी बात थोड़े ही न है कि, उसने मुझे छू लिया या उसका पेनिस तुमने छु लिया. अरे मुझे देखो, मैं अपने बॉय फ्रेंड के साथ सब कुछ कर चुकी हूँ और मुझे कोई प्रोब्लम नही है, और तो और मेरी बात छोडो, तुम्हारी दीदी कि ही बात करते हैं, तुम क्या सोचती हो उन्होंने लड़कों के साथ कोई मजे नही लिए, उन्हें मैं अच्छी तरह जानती हूँ, वो अपनी क्लास मैं बहुत पोपुलर थीं, हाँ यह बात अलग है कि वो लिमिट क्रॉस कर चुकी हैं या नही, यह मुझे नही पता! और तुम्हारी छोटी बहिन निशा .....वो तो तुमसे भी ज्यादा सेक्स बोम्ब है, पता है उसके चार चार बॉय फ्रेंड हैं अभी से और उनमे से एक देव (देव राखी का छोटा भाई है ) भी है.

यह सब सुनकर मैं तो दंग रह गयी. मैं उसे सब बताना चाहती थी कि, मैं भी लड़को कि और अब आकर्षित होने लगी हूँ, हर रात कल्पना करती हूँ कि वो मेरे साथ सेक्सुअल एक्टिविटी करते हैं. कमल का हार्ड पेनिस , मेरे हाथ मैं उसका अनुभव, मेरी चूत पर या मेरे चूतडों पर... ये ख्याल ही हर बार मेरी चूत मैं सख्त्पना ला देते हैं और मेरी चड्डी गीली हो जाती है, पर अभी भी राखी पर मुझे पूरा विश्वास नही था. मुझे चुप देख कर राखी बोली, जूही अच्छा एक काम कर उसे बुला और बता दे कि तेरे दिमाग मैं क्या चल रहा है और वो तेरे साथ सब कुछ कर सकता है, जिसके लिए तू तयार है.

"नही...सब कुछ नही पागल.....मैं अपने पति के लिए बचाकर रखना चाहती हूँ॥" मैंने उसे जवाब दिया तो वो बोली, "देख जूही, यह टाइम फिर कभी लौट कर नही आएगा और एक दो साल मैं तेरे पापा भी तेरी शादी कर देंगे। क्या तुम लाइफ एन्जॉय नही करना चाहती? अच्छा मुझे बताओ, क्या तुमने अपने नंगे बदन को कभी किसी लड़के को दिखाया है? क्या कभी किसी ने तुम्हे छूया है? क्या किसी ने तुम्हारे बूब्स को मला है, या चूसा है? क्या कभी तुमने किसी लड़के को चूमा है? क्या कभी किसी ने तुम्हे वहां नीचे कभी किस किया है? क्या कभी किसी लड़के के पेनिस से कभी खेली हो? मुझे मालूम है , कि तुमने नही किया कुछ भी. पर मुझे देखो, मैंने यह सब किया है और इस से भी ज्यादा... तुम ही बताओ...अगर तुम ऐसा किसी लड़के के साथ करना चाहती हो तो....बस किसी लड़के को अपना दोस्त बनाओ और उसे अपने शरीर कि और आकर्षित करो और चाहो तो अपना कुंवारापन बचाकर भी रख सकती हो. तुम्हारी दीदी यह सब कर चुकी हैं, मैं सच कह रही हूँ. और वैसे भी तुम जैसे लड़की को कोई लड़का मन भी नही कर सकता....क्यों जूही ?"

पर मुझे डर लगता है , कहीं कुछ गड़बड़ हो गयी तो? प्रेग्नेंट भी तो हो जातें हैं ऐसे करने से?

राखी ने तब एक बहुत इम्पोर्टेंट बात कही, " देख जूही, अगर कोई लड़का तेरे को एप्प्रोच करता है तो उसे मना मत कर, और कुछ सेक्सी कपड़े पहनना शुरू कर, और अगर तुने कुछ आनाकानी नही कि उसके साथ, तो वो भी तेरे साथ एन्जॉय करेगा पर .....अगर उसे तुने सही समय पर नही रोका तो वो तुझे चौदने से अपने को रोक भी नही पायेगा इसलिए बड़े ध्यान से...!

इसके बाद मैं घर के लिए निकल गयी....रास्ते मैं यही सोचा कि अब मैं ख़ुद ही अपना फ़ैसला करुँगी और दीदी के बारें मैं सुनकर बड़ा झटका लगा था मैं तो उन्हें बड़ा शरीफ ही समझती आयी थी.


शादी में डांस में कमल की ओर आकर्षण और फिर हस्तमैथुन

स्टेशन की उस घटना के कुछ सप्ताह बाद मेरी फ्रेंड नेहा की शादी थी। उस में मैं और कमल साथ ही गए थे। वहां सब लोगों से मिलने के बाद कुछ देर में ही डांस पार्टी शुरू हो गयी. मैंने कमल के साथ ही डांस करना शुरू कर दिया. उस दिन मेने एक खुबसूरत सा टॉप और स्कर्ट पहन रखा था और मुझे मालूम था की वहां जितने लड़के थे वो सभी मुझे घूरे जा रहे थे क्योंकि मेरे कसे हुयी बूब्स उस टॉप में बहुत सेक्सी दिख रहे थे और डांस करते समय जैसे ही कोई मूव लेती थी तो वो भी उछलते थे. यहाँ तक की कमल भी अपने पेनिस पर कंट्रोल नही रख पा रहा था और जैसे भी मेरी बूब्स क्लीवेज दिखती थी वो उसे घूरने लगता था. मेने महसूस किया की उसका एक हाथ धीरे धीरे मेरी पीन्थ पर नीच की और जा रहा था. हम दोनों डांस करते करते बहुत नजदीक आ चुके थे और में उसके पेनिस के उभार को अपने पेट पर सटा हुआ महसूस करने लगी थी. मेरी निप्पलस भी कड़ी होने लगी थी. और कमल ने एक बार मेरा हाथ अपने उभरे हुए पेनिस से टच करा दिया, जैसे की गलती से हाथ लगा हो. और इसके बाद जब डांस बीट्स बढने लगी तो उसने मेरे हिप्स के उभारो पर अपना हाथ रख दिया और उनका अच्छी तरह से स्पर्श करने लगा.

वो बार बार पींठ की और से अपने हाथ नीचे की और ले जाता और मेरी चूतडों की दरार तक उंगलिया ले जाता और हर बार में ज्यादा से ज्यादा उत्तेजना महसूस कर रही थी. पर वहां बहुत से लोग थे, मुझे डर भी लग रहा था और मेरे से रहा नही गया और में अलग हो गयी, में तो उसके और भी नजदीक आ जाना चाहती थी पर इस तरह से नही. में उसे कोई ग़लत संकेत नही देना चाहती थी. में तुंरत वहां से टॉयलेट में चली गयी, और दरवाजा अन्दर से बंद कर लिया. शीशे के सामने खड़ी होकर अपने आप को देखने लगी. मेरे शरीर में एक अजीब से उत्तेजना थी. आज तक कभी जानभूझ कर कर हस्तमैथुन नही किया था ( किया तो था पर इतनी उतावले पन से नही ) , पर आज ऐसा लग रहा था की करना ही पड़ेगा और वो भी उसी समय क्योंकि कमल ने एक आग लगा दी थी मेरे तन बदन में.
मैं सेक्स से हॉट हो चुकी थी और मेरे हाथ अपने आप मेरे निप्पलस पर पहुँच गए थे, में उन्हें पिंच किया और मेरे शरीर में एक तरंग सी फ़ैल गयी और जैसे जैसे में अपने निप्पलस और बूब्स को अपने टॉप के ऊपर से मालती तो वो तरंग बदती ही जा रही थी. और अधिक संतुष करने के लिए मैंने अपना हाथ मेरी टॉप के अन्दर ही डाल लिया और सीधे ही बूब्स को टच करना शुरू कर दिया. आज कुछ अलग हो रहा था, और दिन जब हस्तमैथून करती थी तो जो सेक्सुअल अनुभूति होती थी उस से चार गुना आनंद आज हो रहा था. मेने अपनी स्कर्ट ऊपर उठाई और पैंटी नीचे खिसका ली जैसे की में शुशु करने के लिए बैठती हूँ और में पोट पर बैठ गयी. मैंने अपनी उंगलियाँ अपनी चूत की लिप्स में डाली और अनुभव किया की वो पूरी गीली हो गयी थी और उसके बाद में अपनी उँगलियों को अपनी चूत के ऊपर रगड़ने से रोक न पायी और धीरे धीर स्पीड बढती गयी. और दिन भी मैं अपनी चूत को रगड़ लेती थी पर आज की बात कुछ और थी. करीब दस मिनट के बाद मुझे ऐसा लगा कि होने वाले आनंद के कारण मेरी शुशु निकलने वाली है और में अपने पर कंट्रोल नही रख पाउंगी और २-३ सेकेंड्स में ही मेरी चूत में से एक फव्वारा सा निकला और में निढाल से हो गयी. में जानती थी कि यह जो निकला था वो शुशु नही था , वो मेरी चूत का पानी था जो आज बहित ज्यादा उत्तेजना के कारण इतनी अधिक मात्रा में निकला था और निकलता ही जा रहा था. फिर मैंने टॉयलेट पेपर से अपने को साफ़ किया और फिर शुशु भी आ गयी.

उस शादी में उस मैरिज़ होम के एक टॉयलेट में मैंने अपनी जिंदगी का पहला जोरदार न भूलने वाला ओर्गस्म अनुभव किया था. वो भी सिर्फ़ कमल कि वजह से. टॉयलेट से निकलने के बाद मैं उस से नजर नही मिला पा रही थी पर अपने को बहुत संतुष्ट महसूस कर रही थी.

उस रात घर लौटने के बाद में पूरी रात सो नही पायी. मन में बहुत सारे ख्याल आते रहे. कमल की ओर मैं बढती चली जा रही थी, पहले उस दिन ट्रेन के डिब्बे में उसका पेनिस को देखा और फिर इस रात पहली बार इतनी उत्तेजित हो कर ओर्गस्म अनुभव किया था. वैसे भी कमल को उस ट्रेन के डिब्बे वाली घटना से पहले उसने कभी इस नजर से नही देखा था. पर अब में उसकी हार्डनेस फिर से अनुभव करना चाहती थी जिसे उसने बड़ी चालाकी से आज बढ़ी भीड़ में भी उसे अनुभव करवा दिया था. मैं सोच रही थी कि कैसा लगता होगा जब पेनिस चूत के अन्दर जाता होगा? कैसा लगेगा जब कमल का बदन मेरे सॉफ्ट बदन से मिलेगा?

धत्, मेरे दिमाग मैं पता नही क्या क्या आ रहा था! मेरे दिमाग मैं इतने गंदे विचार क्यों आ रहे थे?
नही,....मैंने सोचा कि मैं शादी से पहले अपना कुंवारापन किसी को भी भंग नही करने दूँगी और अपने पति के लिए ही बचाकर रखूंगी. पर दूसरी और यह सेक्सी अनुभव भी कम नही था और वैसे भी मेरी कई सहेलियां शादी से पहले अपने बॉय फ्रेंड के साथ सेक्स कर चुकी थी और फिर उनकी शादी भी हो गयी थी और वो मजे से रह रही थी. मेरी कई साड़ी सहेलियां रोज रात को हस्तमैथुन करती थी और मैं महीने मैं कभी एक -दो बार. और जब मेरी सहेलियां यह सब कर लेती हैं तो मैं तो उनसे भी ज्यादा सुंदर और कामुक थी.

मैंने अपनी आँखे बंद करी और कल्पना मैं खो गयी और मुझे याद आने लगा, कमल का वो सख्त पेनिस जो उसने मुझे उस दिन ट्रेन के डिब्बे मैं दिखाया था. मेरे हाथ फिर से मेरी चूत पर पहुँच गए थे और एक बार फिर मैंने वही ओर्गस्म अनुभव किया जो शाम को शादी मैं किया था, बस आनंद थोड़ा कम मिला क्योंकि बगल मैं दीदी भी सो रहीं थी और मेरे हाथ ज्यादा जोर से नही चल सकते थे.